औरंगाबाद, बिहार।
गृह विभाग के विशेष सचिव आईपीएस विकास वैभव बिहार में लेट्स इंस्पायर बिहार मुहिम चला रहे हैं। इसके तहत वे बिहार के युवाओं की सोच बदलने और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वह 2003 बैच के बिहार कैडर के IPS अधिकारी हैं। वर्तमान में बिहार सरकार के गृह विभाग में विशेष सचिव के पद पर हैं। राज्य सरकार की दी गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को वह बखूबी निभा रहे हैं।
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उन्होंने कैमूर में हुए कार्यक्रम के बाद वापस लौटते हुए औरंगाबाद में पत्रकारों को बताया कि बिहार का स्वर्णिम इतिहास रहा है। हम उसी इतिहास को वापस लाने का काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस समय यहां सड़क नहीं थी, टेक्नोलॉजी नहीं थी, कम्युनिकेशन नहीं था, उस समय क्या ऊर्जा रही होगी? क्या विजन रहा होगा? जिसने अखंड भारत के साम्राज्य को स्थापित कर दिया। वे जब यूथ को देखते हैं तो उनसे कहते हैं कि हर व्यक्ति के अंदर अपनी ऊर्जा है। अगर, ऊर्जा का इस्तेमाल सही दिशा में किया जाए तो वर्तमान भी अच्छा होगा और भविष्य भी। यदि ऊर्जा का इस्तेमाल आप संघर्ष में लगाएंगे, छोटी-छोटी बातों में उलझेंगे, जातिवाद के चक्कर में आपकी ऊर्जा नष्ट होगी और सम्प्रदाय के नाम पर आप लड़ते रहेंगे। जहां ऊर्जा नहीं लगनी चाहिए, वहां आप लगाएंगे तो यह व्यर्थ होगा।
रोजगार को लेकर यह न सोचें कि कोई आएगा, हमें नौकरी देगा। जबकि, हमें इस पर सोचना चाहिए कि हम कैसे रोजगार के लिए रास्ता बनाएं? कैसे हम दूसरों को नौकरी दें? जब आप पुराने अर्थशास्त्र और उससे जुड़ी प्रतिलिपियों को पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि पाटलिपुत्र में छोटे-छोटे काफी सारे उद्योग चलते थे। आज हमारी सोच संकीर्ण क्यों हो जाती है कि IIT से M.TECH करने के बाद हमारी सरकारी नौकरी ही हो जाए। इन प्वाइंट्स पर युवाओं से बात करके हम लोग चाहते हैं कि उनकी सोच बदले। जीरो की जननी, गणित और विज्ञान की यह भूमि यदि आज अच्छी सोच और दृष्टि के साथ आगे बढ़ने लगे, संघर्ष छोड़कर सहयोग की भावना के साथ चलने लगे, व्यक्ति को व्यक्ति के साथ जोड़कर बढ़ने लगे तब राष्ट्र का निर्माण होगा।
45 हजार सदस्य हैं जिले में
आईपीएस ने बताया कि उधमिता और बिहार के विकास को लेकर हो रहे इस कार्यक्रम में शुरुआत जब किए थे तो औरंगाबाद जिले में बहुत कम सदस्य थे लेकिन आज उनके साथ सदस्यों की संख्या 45 हजार के लगभग हो गई है। उन्होंने बताया कि समाज के जो अच्छे लोग हैं उनको इसमें आगे आना चाहिए और बिहार के विकास में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे सिर्फ देश ही नहीं देश के बाहर भी ऐसे कार्यक्रम किए हैं जहां रह रहे बिहार वासियों को उन्होंने अपने राज्य के लिए कुछ करने की बात कही और लोग भी इस बात को मान रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बिहार का परचम देश दुनिया में लहरायेगा।
उन्होंने अपना संस्मरण बताते हुए कहा कि जब वे नालंदा विश्वविद्यालय घूमने गए तो जाना कि प्राचीन काल में कैसे लोग वहां पढ़ने आते थे। आज हमारे बच्चे कोटा में पढ़ने जा रहे हैं। मेरी नौकरी विदेश में भी लगी। देश के अंदर इंफोसिस में भी लगी। तब भी मेरे मन में यह सवाल था कि कभी न कभी तो मैं बिहार लौटकर आऊंगा। मेरे मन में सवाल यह भी था कि समाज के लिए मैंने क्या योगदान किया? इसके बाद मुझे लगा कि सिविल सर्विस समाज की मदद के लिए एक अच्छा साधन है। इसके जरिए सकारात्मक योगदान समाज के लिए किया जा सकता है। फिर इसी रूप में मैंने तैयारी की।
परिवर्तन को मैंने होते देखा है। जितने भी युवाओं से मुलाकात होती है। ऑनाइलन व सोशल मीडिया के जरिए बात होती है तो उन्हें बताता हूं। एक वक्त था जब बगहा को मिनी चंबल कहा जाता था। वहां डकैतों का बोलबाला था। लोग कहते थे कि वहां वाल्मिकी के समय से ही अपराध चला आ रहा है। वहां पुलिस के कई ऑपरेशन चले। इसके बाद भी वहां कभी क्राइम की वारदातें नहीं रुकीं। किसी अंग्रेज ने भी वहां के लिए लिख दिया कि यूनिवर्सिटी ऑफ क्राइम। बगहा में अपराधी चुनाव तक लड़ने लगे थे। रंगदारी मांगने का तरीका भी बिल्कुल अलग था। इसके जवाब बाद भी मैंने जब चिंतन शुरू किया तो समझा कि इनकी आर्थिक रीढ़ को तोड़नी होगी। उस हिसाब से प्लान किया। हमने इलाके के लोगों से बातचीत की। भूले-भटके लोगों को समाज से जोड़ने की कोशिश की।
ऑनलाइन और सोशल मीडिया के माध्यम से लोग जुड़ रहे हैं। शिक्षा, समता और उद्यमिता को लेकर काम करने के करीब 45 हजार से अधिक इच्छुक लोग इस अभियान से जुड़ चुके हैं। हर जिले में चैप्टर बना है। इसमें बिहार में रहने वाले और दूसरे जगहों पर रह रहे बिहार के लोग जुड़ रहे हैं। हमलोग एक नेटवर्क बनाने में जुटे हैं, जिसमें वो लोग जो बिहार से बाहर भी हैं वो अपने स्कूल और गांव के माध्यम से जुड़ रहे हैं और कुछ योगदान कर रहे हैं। स्वामी विवेकानंद को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं।