जिले की पुलिस की सक्रियता के कारण इन दिनों नक्सली गतिविधियों पर काबू पाया जा रहा है और नक्सलियों की गिरफ्तारी की जा रही है। ताज़ा मामला जिले के कासमा थाना क्षेत्र के जगरूप बिगहा दुगुल गांव का है। जहां के निवासी तपेश्वर भुइयां उर्फ कपिल भुइयां नाम के नक्सली को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार नक्सली 34 वर्षों से फरार चल रहा था।
रफीगंज प्रखंड के कासमा पुलिस ने लंबे समय से 7 नक्सली कांडों में फरार चल रहे नक्सली को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। गिरफ्तार नक्सली कासमा थाना क्षेत्र के जगरूप बीघा दुगुल गांव निवासी 55 वर्षीय तपेश्वर भुइयां उर्फ़ कपिल भुइयां है।
इस सम्बंध में सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी द्वितीय अमित कुमार ने बताया कि औरंगाबाद एसपी के निर्देश पर सभी थाना में फरार चल रहे, अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु छापामारी अभियान चलाई जा रही है। इसी क्रम में कासमा पुलिस को जानकारी मिली की कासमा थाना कांड संख्या 22/ 90 में फरार चल रहे नक्सली तपेश्वर भुइयां उर्फ़ कपिल भुइयां अपने घर जगरूप बीघा दुगुल आया हुआ है। पुलिस ने जानकारी के अनुसार छापामारी की तो इस दौरान चाल्हो पहाड़ के बगल में एक झोपड़ी नुमा मकान से तपेश्वर भुइयां उर्फ़ कपिल भुइयां को गिरफ्तार किया गया।
7 मामलों में था फरार
तपेश्वर भुइयां उर्फ़ कपिल भुइयां के खिलाफ औरंगाबाद जिला के 4 थानों में कुल 7 प्राथमिकी नक्सली कांड एवं आर्म्स एक्ट में दर्ज हैं। इस संबंध में सदर एसडीपीओ द्वितीय अमित कुमार ने बताया कि नक्सलियों की लगातार गिरफ्तारी से उनके हौसले पस्त हो रहे हैं।
छापामारी अभियान में कासमा थाना अध्यक्ष इमरान आलम, एसआई राजीव कुमार, ललन प्रसाद यादव, ए एस आई अरुण कुमार सिंह, पीटी सी नवीन कुमार, उपेंद्र महतो, सिपाही मनीष कुमार, राज निगम कुमार, गोविंद सिंह कुशवाहा, दिवाकर ठाकुर, उपेंद्र कुमार, चौकीदार गुड्डू कुमार ओमप्रकाश कुमार सहित अन्य लोग शामिल थे।
जिले के नबीनगर में एनटीपीसी द्वारा लगातार बिजली उत्पादन में अव्वल रहने के बाद अब फिर से नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने जा रहा है। एनटीपीसी का उपक्रम बीआरबीसीएल द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से 22 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन का चयन कर लिया गया है, जल्दी ही इस पर काम शुरू होगा। यहां भारतीय रेल एवं एनटीपीसी लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड द्वारा पहले से ही 1000 मेगावाट ताप विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।
बीआबीसीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीजेसी शास्त्री ने सोमवार को परियोजना सभागार में मीडिया संवाद में कहा कि बीआरबीसीएल ने पावर प्लांट परिसर में 100 करोड़ की लागत से 22 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली सौर उर्जा विद्युत उत्पादन संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। योजना के तहत फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। इस परियोजना को शुरु करने के लिए भूमि अधिग्रहण करने की जरूरत नही है बल्कि इसके लिए बीआरबीसीएल परिसर में ही पर्याप्त मात्रा में भूमि उपलब्ध है।बीआरबीसीएल परिसर में स्थापित होने वाला सौर विद्युत उत्पादन संयंत्र औरंगाबाद जिले का पहला सोलर पावर प्लांट होगा।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि नबीनगर स्थित प्लांट बीआरबीसीएल का देश का इकलौता ताप विद्युत संयंत्र है। इस संयंत्र के अलावा देश में कही भी बीआरबीसीएल का पावर प्लांट नही है और फिलहाल देश के किसी अन्य हिस्से में पावर प्लांट स्थापित करने की बीआरबीसीएल की कोई योजना प्रस्तावित नही है।
प्रदूषण को शून्य स्तर पर लाने के लिए लगाया जा रहा अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र
उन्होने कहा कि बीआरबीसीएल की थर्मल पावर परियोजना को पूरी तरह प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इस संयंत्र की स्थापना करीब 700 करोड़ की लागत से की जा रही है। संयंत्र में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज जैसी तकनीक का कार्य प्रगति पर है। कहा कि प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र की स्थापना का काम दिसंबर 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद यह परियोजना 99 प्रतिशत से अधिक प्रदूषण मुक्त हो जाएगी। वैसे वर्तमान में इस अत्याधुनिक बिजली संयंत्र में प्रदूषण की बिल्कुल कम गुंजाइश है।
बीआरबीसीएल बिहार को कर रही है 100 मेगावाट बिजली की आपूर्ति
मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीजेसी शास्त्री ने बताया कि भारतीय रेल बिजली कंपनी की नबीनगर परियोजना की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1000 मेगावाट है जिसकी 90 प्रतिशत उत्पादित बिजली भारतीय रेलवे को दी जा रही है जबकि 10 प्रतिशत यानी 100 मेगावाट बिजली बिहार को दी जा रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल की कुल विद्युत आवश्यकता का 25 प्रतिशत बिजली की पूर्ति भारतीय रेल बिजली कंपनी की नबीनगर प्रोजेक्ट से हो रही है। देखा जाए तो देश की 25 प्रतिशत ट्रेनें औरंगाबाद में बनी बिजली से चल रही हैं। साथ ही बीआरबीसीएल द्वारा 22 मेगावाट का सौर विद्युत उत्पादन संयंत्र की स्थापना का संयंत्र स्थापित किए जाने से बिहार को आपूर्त्ति की जाने वाली बिजली में 2.2 और भारतीय रेल को आपूर्ति की जाने वाली बिजली में 20 मेगावाट से अधिक की बढ़ोतरी होगी।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में बीआबीसीएल को हुआ 576 करोड़ का शुद्ध मुनाफा
मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीजेसी शास्त्री ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष2023-24 के दौरान बीआरबीसीएल की परियोजना को 576 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ, जिसमें एनटीपीसी की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत और भारतीय रेलवे की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत रही। ज्ञात हो कि बीआरबीसीएल की नबीनगर परियोजना में ढाई-ढाई सौ मेगावाट ताप विद्युत उत्पादन क्षमता की कुल चार ईकाइयां स्थापित हैं और इसका निर्माण 8000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से कराया गया है।
बिजली उत्पादन का हब बन गया है औरंगाबाद
बिहार के औरंगाबाद का नबीनगर बिजली उत्पादन का हब बन गया है। औरंगाबाद जिले के नबीनगर में दो बड़े पावर प्लांट स्थापित हैं और दोनों प्लांटों से कुल मिलाकर अभी 2980 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इतनी बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन देश के किसी भी एक जिले के विद्युत उत्पादन संयंत्रों से नही हो रहा है। इन परियोजनाओं में पहला भारतीय रेल और एनटीपीसी लिमिटेड के संयुक्त भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड की 1000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली ताप विद्युत परियोजना है। वहीं अब फिर 22 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले सौर विद्युत उत्पादन संयंत्र की स्थापना की जानी है। वहीं दूसरी नबीनगर में ही स्थापित एनटीपीसी की 1980 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली ताप विद्युत परियोजना है। साथ ही इस परियोजना के फेज-2 में 800-800 मेगावाट ताप विद्युत उत्पादन क्षमता वाली तीन नई ईकाइयों की स्थापना पर काम चल रहा है। इस लिहाज से वर्तमान में नबीनगर से अकेले 2980 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है जबकि एनटीपीसी नबीनगर में तीन नई ईकाईयों और बीआरबीसीएल में 22 मेगावाट क्षमता वाले सौर विद्युत उत्पादन संयंत्र की स्थापना होने से नबीनगर की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 5402 मेगावाट हो, जाएगी जो अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। इसी वजह से नबीनगर को देश में बिजली उत्पादन के हब के रूप में जाना जाता है।
बालिका सशक्तिकरण और पर्यावरण के लिए बीआरबीसीएल को मिला राष्ट्रीय सम्मान
बीआरबीसीएल नेगम सामाजिक दायित्व के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को लागू कर रहा है। निगम के संचालक दिव्या बत्रा ने बताया कि इस वर्ष की प्रमुख पहल में से एक बालिका सशक्तिकरण अभियान का सफल आयोजन रहा। जिसमें परियोजना प्रभावित गांव की 40 लड़कियों को चार सप्ताह की आवासीय कार्यशाला में सशक्त बनाया गया। इस प्रयास के लिए बीआरबीसीएल को ग्रीनटेक सीएसआर इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा हरित क्षेत्र बनाने को लेकर क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। इस कार्य के लिए भी ग्रीनटेक एनवायरमेंट अवॉर्ड से उन्हें विजेता घोषित किया गया है।
मीडिया संवाद में बीआरबीसीएल के महाप्रबंधक परियोजना संदीप दास, अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन अनिरुद्धसिंह, मुख्य वित्त अधिकारी विजयश्रीरंगनाथन तथा नैगम संचार कार्यपालक दिव्या बत्रा भी मौजूद रहे।
इन दिनों काराकाट लोक सभा क्षेत्र में हर तरफ पवन सिंह की धूम मची हुई है। 9 मई को नामांकन के बाद हुई सभा में पवन सिंह को देखने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। जहां हर कोई पवन सिंह का एक झलक पाने और उनकी तस्वीर उतारने में लग रहा। नामांकन के बाद सासाराम से सभा स्थल अकोढी गोला जाने के क्रम में रास्ते भर उनके समर्थक जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। सभा स्थल अंकोढी गोला प्रेम नगर हाई स्कूल पर जमा उनके हजारों समर्थक उनकी एक झलक पाने को आतुर दिखे।
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समर्थकों में दीवानगी ऐसी थी कि वह भीड़ में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगए रहे और सेल्फी लेने में मशगूल रहे। काराकाट लोकसभा क्षेत्र से नामांकन के तीसरे दिन भोजपुरी के सुपरस्टार पवन सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। नामांकन से पूर्व पवन सिंह ने पहले माँ ताराचंडी के दरबार में हाजिरी लगाई और फिर अपने लाव लश्कर के साथ सीधे जिला समाहरणालय स्थित जिला निर्वाची पदाधिकारी के कार्यालय कक्ष में नामांकन के लिए पहुंचे। इस दौरान शहर में प्रवेश करते ही पवन सिंह के साथ उनके समर्थको की भारी भीड़ भी देखी गई। पवन सिंह अपने काफिले के साथ आगे बढ़ रहे थे और पीछे-पीछे उनके समर्थकों की भीड़ एक झलक पाने के लिए पूरे रास्ते दौड़ लगाती रही।
पवन सिंह के काफिले उमड़ी भीड़( फ़ोटो- राजेश रंजन)
हालांकि कचहरी मोड़ के समीप बनाए गए बैरीकेटिंग के पास हीं पवन सिंह के काफिले को प्रशासन ने रोक दिया गया और सिर्फ तीन वाहन को हीं आगे जाने की अनुमति दी गई। इसके बाद पवन सिंह अपने प्रस्तावकों के साथ सीधे निर्वाचन हेल्प डेस्क पर पहुंचें। जहां बारी-बारी से सभी काउंटरों पर उनके फॉर्म आदि की जाँच की गई और फिर उन्हें प्रस्तावकों के साथ जिला निर्वाची पदाधिकारी के कक्ष में भेजा गया। वहीं नामांकन प्रक्रिया पूरी करने के बाद भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह अकोढीगोला के प्रेमनगर हाई स्कूल में आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। पवन सिंह के जनसभा में भोजपुरी गायक गुंजन सिंह, शिल्पी राज, गोलू राजा, चंदन यादव सहित कई कलाकार उपस्थित थे।
जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से जनसभा में मौजूद लोगों काम खूब मनोरंजन किया। पवन सिंह के जनसभा में मंच पर पवन सिंह के साथ उनकी माँ और पत्नी ज्योति भी मौजूद रही। पवन सिंह की मां ने जनसभा को संबोधित करते हुए अपने बेटे के पक्ष में जनता से वोट देने की अपील की। वही पवन सिंह ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि करकट की जनता मेरे लिए भगवान है। जिस तरीके से 15 वर्षों में काराकाट की जनता के साथ यहां के मौजूद सांसदों द्वारा अपेक्षा किया गया है वो दुर्भाग्यपूर्ण है। काराकाट लोक सभा क्षेत्र का जितना विकास होना चाहिए था नहीं हो पाया है नहीं यहां सड़क रोजगार शिक्षा सहित अन्य कई तरह की समस्याएं आज भी मौजूद है। इसलिए काराकाट के विकास के लिए परिवर्तन जरूरी है और मेरी माँ ने मुझे काराकाट को सौंप दिया है। वही पवन सिंह ने जनता से आशीर्वाद मांगते हुए कहा कि आप अपने कीमती वोट के रूप में अपना आशीर्वाद दीजिए। मैं वादा करता हूं कि जीतने के बाद काराकाट का संपूर्ण विकास करूंगा। वही पवन सिंह ने कहा कि अगर मैं काराकाट लोकसभा से चुनाव जीतता हूं तो सांसद को से मिलने वाली सारी राशि करकट की जनता के विकास में खर्च करूंगा इसके अलावा संसद को मिलने वाले वेतन को काराकाट की बेटियों के विवाह एवं शिक्षा के लिए खर्च कर दूँगा।
बता दें कि नामांकन और जनसभा के दौरान पवन सिंह के समर्थकों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। समर्थकों की भारी भीड़ को देखते हुए पुरानी जीटी रोड के उत्तरी लेन को दो-तीन घंटे के लिए बंद रखा गया तथा तथा नामांकन प्रक्रिया पूरी होने तक समर्थकों का हुजूम समाहरणालय गेट पर जमा रहा। इस दौरान समर्थकों ने पवन सिंह के समर्थन में खूब नारे भी लगाए और पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। वही पवन सिंह के साथ सेल्फी लेने के लिए जनसभा में मौजूद युवाओं के बीच होड़ मची रही।
काराकाट लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रहे भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार पवन सिंह ने जिले के नबीनगर में रोड शो और सभा का आयोजन किया। यह आयोजन मंगलवार की रात्रि में की गई। इस सभा में 50 हजार से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। रात 10:00 बजे तक चली इस सभा में लोगों का जोश और उमंग देखते ही बन रहा था। सभा में नवयुवकों का हुजूम उमड़ पड़ा। सभा से पहले पवन सिंह ने रोड शो का आयोजन किया था। यह आयोजन बारुण से लेकर नवीनगर तक था।
नबीनगर में पवन सिंह की सभा
पवन सिंह के साथ हजारों गाड़ियां थी जो लौटने के क्रम में जीटी रोड पर जाम लग गया। जाम दूसरे दिन बुधवार की सुबह 8:00 बजे तक लग रहा। जिससे स्कूल बसों को भी रद्द करना पड़ा।
काराकाट संसदीय क्षेत्र की चर्चा इन दिनों अचानक बढ़ गई है। कारण बना है भोजपुरी फिल्मों के पावर स्टार कहा जाने वाले पवन सिंह। यहां से पवन सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले पवन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी का टिकट लौटा दिया था। भाजपा ने उन्हें पश्चिम बंगाल के आसनसोल से प्रत्याशी बनाया था। भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार पवन सिंह दो दिनों से लागत तार सुर्खियों में बने हुए हैं पिछले दिनों हुए हैं। रविवार को औरंगाबाद जिले के देव स्थित सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना की थी। इसके साथ ही इन्होंने चुनावी कैम्पेन का भी आगाज कर दिया था। मंगलवार को वह रोहतास जिले के अंतर्गत आने वाले काराकाट लोकसभा क्षेत्र में रोड शो और सभा किया था। उसके बाद रात्रि 8:00 बजे सोन नदी पर बने पुल को पार करते हुए औरंगाबाद जिले से बारुण होते हुए नबीनगर पहुंचे। जहां उनकी सभा का आयोजन किया गया था। सभा में 50 हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे।
मौजूद समर्थक रात के अंधेरे में भी पवन सिंह को सुनने के लिए पहुंचे हुए थे। पवन सिंह ने नबीनगर पहुंचने के बाद सबसे पहले रोड शो किया, उसके बाद वे सभा स्थल पहुंचे। सभा स्थल से मंच पर अन्य नेताओं के साथ लोगों को संबोधित किया। इस दौरान भीड़, खासकर नौजवानों की भीड़ से मैदान अटा पड़ा था। ज्यादा लोग होने के कारण मैदान में अव्यवस्था का आलम बना रहा। अंधेरा होने के कारण हजारों मोबाइलों के फ्लैश लाइट पवन सिंह को एक झलक देखने के लिए चमक रहे थे। जब पवन सिंह का काफिला नबीनगर बाजार से होकर गुजरा तो आसपास के घरों से महिलाओं ने पुष्प की बारिश की।
जाम हो गया जीटी रोड
नवीनगर से निर्धारित अपने चुनावी कार्यक्रम को सम समाप्त कर पवन सिंह वापस लौटने लगे। उन्हें ओबरा जाना था। वापसी के क्रम में जीटी रोड पर उनका काफिला जाम में फंस गया। रात्रि में आए आंधी और बारिश के कारण जगह जगह पेड़ गिरे हुए थे। जाम इतनी भीषण थी कि लगातार रात्रि 11:00 बजे से लगी जाम बुधवार की सुबह के 8:00 तक लगी रही। सुबह से ही पुलिस बल जाम को छुड़वाने में व्यस्त थे लेकिन जाम को हटाया नहीं जा सका था। जाम के कारण दर्जनों स्कूलों के स्कूल वाहनों को रद्द करना पड़ा। जिससे बच्चे स्कूल नहीं जा सके। सुबह-सुबह विद्यालय जा रहे बच्चों को काफी परेशानी भी झेलनी पड़ी। शादी विवाह के मौसम होने के कारण वैसे भी ट्रैफिक बढ़ी हुई थी। वहीं जीटी रोड के दोनों तरफ का लेन जाम रहने के कारण बारात गाड़ियों की भी जाम में ही रात गुजर गए।
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से दर्जनों दावेदारों को पछाड़कर राजद का सिम्बल लेकर आए अभय कुशवाहा पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज हो गया है। औरंगाबाद पहुंचने के पहले दिन ही उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ा। उनपर आरोप है कि रात्रि 8 बजे औरंगाबाद शहर में सात आठ गाड़ियों के काफिले के साथ नारेबाजी करते पाए गए हैं।
इंडिया गठबंधन में शामिल दल राष्ट्रीय जनता दल के सिंबल पर औरंगाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने आए उम्मीदवार अभय कुशवाहा पर औरंगाबाद नगर थाने में आदर्श आचार संहिता उलंघन की प्राथमिकी दर्ज हो गई है। यह प्राथमिकी गुरुवार की देर रात औरंगाबाद के अंचलाधिकारी के बयान पर दर्ज कराई गई है।
नगर थाना में दिए गए आवेदन में अंचलाधिकारी ने बताया है कि 21 मार्च की रात लगभग 10 बजे बजे अभय कुशवाहा 8 गाड़ियों को लेकर अपने समर्थकों के साथ शहर में प्रवेश किए और उनके समर्थकों के द्वारा महाराणा प्रताप चौक, रमेश चौक से होते हुए फारम की तरफ जाते हुए अभय कुशवाहा जिंदाबाद, लालू राबड़ी जिंदाबाद के नारे लगाए गए।
जो कि आदर्श आचार संहिता उलंघन का मामला है। अंचलाधिकारी अरुण कुमार सिंह द्वारा दिए गए आवेदन के आलोक में नगर थाना में कांड संख्या 237/24 अंकित करते हुए u/s 188 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस सम्बंध में जानकारी देते हुए नगर थाना प्रभारी उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस सम्बंध में एक मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
औरंगाबाद लोक सभा क्षेत्र भारतीय लोकतंत्र के शुरुआत से ही है। 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से सत्येंद्र नारायण सिंह कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि यहां से आज तक राजपूत जाति के अलावा किसी भी अन्य जाति का कोई भी सांसद चुनाव नहीं जीत सका है। साथ ही दूसरी विशेषता यह है कि इस निर्वाचन क्षेत्र से जीते किसी भी सांसद को आज तक मंत्री नहीं बनाया गया। इस संसदीय क्षेत्र में गया जिले की तीन विधानसभा और औरंगाबाद जिले की तीन विधानसभा आते हैं।
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र –
औरंगाबाद लोक सभा क्षेत्र 1951 से ही है। उस समय यह क्षेत्र गया जिले का हिस्सा हुआ करता था। बाद में औरंगाबाद जिला बनने के बाद भी जिले के सभी विधानसभा नबीनगर ओबरा गोवा कुटुंब औरंगाबाद सदर और रफीगंज को मिलाकर औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र बरकरार रहा। 2009 के नए परिसीमन में औरंगाबाद जिले के तीन विधानसभा कुटुंबा, रफीगंज और औरंगाबाद सदर और गया जिले के तीन विधानसभा इमामगंज, गुरुआ और टेकारी को मिलाकर नया औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र बनाया गया है।
2019 लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट से महागठबंधन प्रत्याशी रहे उपेंद्र प्रसाद, साथ में हैं सदर विधायक आनंद शंकर सिंह ( फ़ोटो- राजेश रंजन)
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र का इतिहास-
औरंगाबाद सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इस सीट पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा सबसे अधिक 6 बार सांसद रहे। वे 1951, 1957,1971, 1977, 1980 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। हालांकि वे 1971 और 1977 में भारतीय लोकदल से और 1980 में जनता दल से सांसद रहे। इसके बाद सत्येंद्र नारायण सिन्हा 1984 में कांग्रेस से लोकसभा का चुनाव जीते। इसी बीच उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनने का भी मौका मिला लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद वे आगे कोई भी चुनाव नहीं जीत सके। 1962 में रामगढ़ के राजपरिवार से आई ललिता राजलक्ष्मी ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की। वहीं 1967 में कांग्रेस के मुंद्रिका सिंह ने जीत दर्ज की।
1989 के चुनाव में बीपी सिंह की लहर में जनता दल के रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू ने उनकी पुत्रवधु कांग्रेस प्रत्याशी श्यामा सिंह को मात दी थी। इसके बाद 1991 में रामनरेश सिंह दूसरी बार सांसद बने। साल 1996 में तो गज़ब हो गया। नबीनगर से जनता दल के नवनिर्वाचित विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह ने समता पार्टी के रामनरेश सिंह और कांग्रेस के सत्येंद्र नारायण सिन्हा को हराकर संसद में प्रवेश किया। वहीं 1998 के मध्यावधि चुनाव में रामनरेश सिंह के पुत्र सुशील कुमार सिंह समता पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुए। एक साल बाद 1999 में फिर से हुए मध्यावधि चुनाव में सत्येंद्र नारायण सिंन्हा की पुत्रवधू श्यामा सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुन ली गई। वहीं 2004 में कांग्रेस से ही सत्येंद्र नारायण सिन्हा के पुत्र और दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त निखिल कुमार सांसद चुने गए। साल 2009 के चुनाव में सुशील कुमार सिंह एक।बार पुनः जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर चुने गए। सुशील सिंह 2014 और 2019 में भी चुनाव जीत कर हैट्रिक बनाया है। हालांकि इन दोनों चुनावों में वे भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की है। सत्येंद्र नारायण सिंह के 6 बार के बाद सबसे अधिक चार बार सांसद बनने का रिकॉर्ड सुशील कुमार सिंह के नाम है।
कभी कांग्रेस के गढ़ के रूप में जाने जा रहे औरंगाबाद सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। रामनरेश सिंह के पुत्र सुशील सिंह सांसद बने हैं। लोकसभा चुनाव में सत्येंद्र नारायण सिंह और रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू का परिवार आमने-सामने रहा है। दोनों परिवारों से अबतक 17 बार में से 14 बार कब्जा रहा है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद निखिल कुमार राहुल गांधी के साथ ( फोटो- राजेश रंजन)
कौन किस पर हावी जनता पर किसकी है पकड़
साल 2019 में हुए चुनाव में महागठबंधन की तरफ से पूर्व एमएलसी उपेंद्र प्रसाद वर्मा चुनाव मैदान में थे। जहां उन्होंने एक कड़े मुकाबले में वर्तमान सांसद भाजपा के सुशील सिंह से चुनाव हार गए थे। इस बार फिर वह प्रमुख रूप से दावेदार हैं। साल 2019 में भाजपा के सुशील सिंह को 427721 मत प्राप्त हुए थे वहीं महागठबंधन के हम सेक्युलर पार्टी नेता उपेंद्र प्रसाद को 357169 मत प्राप्त हुए थे। इस तरह जीत हर का अंतर 70552 मतों का रहा था। इस सीट पर यह कहना मुश्किल है कि कौन जीतने की स्थिति में है। हालांकि दो बार पिता रामनरेश सिंह और चार बार खुद के सांसद रहने से सुशील सिंह की स्थिति वर्तमान में मजबूत है। वहीं सत्येंद्र नारायण सिंह के पुत्र और पूर्व सांसद निखिल कुमार भी मजबूत स्थिति में माने जाते हैं।
इस बार भी एनडीए और इंडिया में होगा सीधा मुकाबला
हर बार की तरह साल 2024 का लोकसभा चुनाव में भी इंडिया और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला होगा। जहां एनडीए के तरफ से वर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह मजबूत दावेदार के तौर पर सामने है वहीं इंडिया गठबंधन के तरफ से पूर्व प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद राजद में सबसे मजबूत दावेदारी पेश की है। वहीं कांग्रेस से पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार और पूर्व मंत्री अवधेश सिंह भी प्रमुख दावेदारों में शामिल है। भारतीय जनता पार्टी में वर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह का जमकर विरोध भी हो रहा है। पूर्व मंत्री रामाधार सिंह, सुशील सिंह की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं। वहीं इंजीनियर से नेता बने प्रवीण कुमार सिंह औरंगाबाद से भाजपा के दावेदारी में लगे हुए हैं।
औरंगाबाद संसदीय सीट 1951 से अब तक
औरंगाबाद संसदीय सीट पर शुरू से ही समाजवादियों का पकड़ बरकरार रहा है। यहां या तो कांग्रेस या तो समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियां चुनाव जीतते रहे हैं। साल 1962 में समाजवादी विचारधारा वाली स्वतंत्र पार्टी ने कब्जा किया था। वहीं 1972, 1977 में भारतीय लोक दल, 1980 में जनता पार्टी, 1989, 1991 और 1996 में जनता दल, 1998 में समता पार्टी, 2009 में जनता दल यूनाइटेड जैसी समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियां चुनाव जीती हैं।
वहीं 1951, 1957, 1967, 1984, 1999 और 2004 में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया है। साल 2014 और 2019 में भाजपा ने कब्जा जमाया है।
औरंगाबाद लोकसभा की पहचान
इस लोकसभा की पहचान कभी सोन नदी और उसके सिंचित क्षेत्र के लिए होती थी। नए परिसीमन के बाद अब इसकी पहचान सुखाड़ ग्रस्त क्षेत्र के रूप में हो रही है। उत्तर कोयल नहर परियोजना और हाड़ियाही नहर परियोजना का पूरा नहीं होना इस क्षेत्र का प्रमुख चुनावी मुद्दा है। हालांकि औरंगाबाद जिला मुख्यालय पर एक सीमेंट फैक्ट्री लगाई गई है जो जिले के लिए वरदान काम और अभिशाप ज्यादा साबित हो रहा है। क्योंकि सीमेंट फैक्ट्री से भूजल दोहन के कारण शहर में पानी की समस्या खड़ी हो गई है। संसदीय क्षेत्र से कोलकाता मुंबई मुख्य रेल मार्ग और दिल्ली कोलकाता मुख्य राजमार्ग जीटी रोड गुजरा है। लेकिन किसी तरह का उद्योग धंधे इस क्षेत्र में नहीं लगाए गए हैं।
जातीय समीकरण
औरंगाबाद लोकसभा सीट का जातीय समीकरण की बात करें तो सबसे ज्यादा वोटर राजपूत जाति से हैं जिनका वोट लगभग 2 लाख के आसपास है। हालांकि यादव मतदाता भी 1 लाख 90 हजार के लगभग हैं और दूसरे स्थान पर हैं। इसके बाद मुस्लिम मतदाता 1.25 लाख हैं। कुशवाहा मतदाताओं की संख्या भी करीब 1.25 लाख के ही आसपास है। इसके बाद भूमिहारों की जनसंख्या एक लाख और दलित और महादलितों की आबादी लगभग 19 फीसदी यानी 2 लाख से भी ज्यादा है। इनका वोट भी जीत के लिए काफी असर रखता है। वहीं अतिपिछड़ा आबादी भी मजबूत स्थिति में है। अतिपिछड़ा वोट ही निर्णायक होता है। वर्तमान में इस लोकसभा क्षेत्र में औरंगाबाद जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र पर महागठबंधन का कब्जा है। जिसमें कुटुंबा से कांग्रेस के राजेश राम, औरंगाबाद सदर से कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह और रफीगंज से राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद नेहालुद्दीन हैं। वहीं इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गया जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र में इमामगंज से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर, टिकारी से हिंदुस्तानी एवं मोर्चा सेक्युलर और गुरुआ से राष्ट्रीय जनता दल का विधायक है।
औरंगाबाद लोकसभा सीट पर मतदान की स्थिति-
2011 की जनगणना के मुताबिक 25 लाख की आबादी वाले औरंगाबाद में औसत साक्षरता दर 70.32 फीसदी है। यहां कुल मतदाता- 1862027 हैं। जिसमें पुरुष वोटर- 972621, महिला वोटर- 889373 और थर्ड जेंडर- 33 है। साल 2014 में यहां 51.19 प्रतिशत और साल 2019 में 52.9 प्रतिशत मतदान हुआ था।
क्या सुशील सिंह दुबारा जीतने की स्थिति में हैं
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में 2024 का चुनाव में काफी कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। इस बार भाजपा सांसद सुशील सिंह की जीत की गारंटी नहीं है। लंबे समय से पद पर बने रहने के कारण उनके खिलाफ लोगों में आक्रोश भी है तो कई लोग बदलाव भी चाहते हैं। हालांकि यह सब कुछ इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पर निर्भर करेगा कि इंडिया गठबंधन किसको अपना उम्मीदवार बनता है।
23 जून को विपक्षी दलों की एकता पर महागठबंधन की बैठक पर बोले जाप नेता
पटना, बिहार।
राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा गठबंधन के 23 जून को विपक्षी दलों के महागठबंधन की बैठक पर जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के नेता संदीप सिंह समदर्शी में कहा कि महागठबंधन के मिशन की सफलता के लिए छोटे-छोटे दलों को जोड़ने की आवश्यकता है। 23 जून को पटना में जो बैठक और पहल हो रही है, यह सार्थक और देश की राजनीति को एक नई दिशा देगी। लेकिन महागठबंधन के नेताओं को इस बात को देखना होगा कि बिहार समेत अन्य राज्यों में जो छोटे-छोटे दल हैं, वे भी अपना आधार रखते हैं और उनका भी जनता के बीच में पैठ है। उनकी इस बड़े गोलबंदी में कोई भूमिका का नहीं होना कहीं ना कहीं भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने का जो संकल्प है, उसमें रुकावट आ सकती है। जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) सुश्री कुमारी मायावती की बहुजन समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को तवज्जो नही देना नुकसानदेह साबित हो सकता है। चूंकि कोशी और सीमांचल में जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक और एआईएमआईएम तो उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों बसपा मजबूत स्थिति में है। वहीं आंध्रप्रदेश सहित अन्य राज्यों में ओवैसी को नजरअंदाज करना महागठबंधन कमजोर और अन्य विपक्षी एकता की मुहिम कमजोर पड़ सकता है।