लोकसभा चुनाव औरंगाबाद – फ़ीका पड़ा मोदी का राष्ट्रवाद का मुद्दा, स्थानीय मुद्दे हावी
औरंगाबाद में कई चुनाव में कई तरह के मुद्दे हावी रहे हैं। लेकिन इस बार का मुद्दा अलग है । इस बार का मुद्दा पूरी तरह से स्थानीय है और यहां महागठबंधन प्रत्याशी के शब्दों में कहें तो महलों और झोपड़ी के बीच में लड़ाई है।
औरंगाबाद, बिहार।
बिहार का चितौड़गढ़ कहे जाने वाले औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फैलाए गए राष्ट्रवाद और युद्ध उन्माद का मुद्दा हवा होता दिख रहा है। यहां पूरी तरह से स्थानीय मुद्दे हावी हैं।
स्थानीय मुद्दों में भी खासतौर से उस मुद्दे की सबसे ज्यादा चर्चा होती है जिसमें चित्तौड़गढ़ और मिनी चितौड़गढ़ का उपमा दिया जाता है।
बताया जाता है कि मिनी चितौड़गढ़ नाम इसको इसलिए कहा गया है क्योंकि यहां भारत के आजादी के समय से ही अर्थात 1952 से ही लोकसभा के चुनाव में हर बार राजपूत जाति के उम्मीदवार विजयी होते हैं । बीच-बीच में कई बार अन्य जातियों के लोगों ने भी कोण बनाने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए। इस बार का चुनाव द्विपक्षीय हो गया है ।
एनडीए की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह और महागठबंधन की तरफ से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर के प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद हैं। जहां सुशील कुमार सिंह राजपूत बिरादरी से आते हैं वही उपेंद्र प्रसाद पिछड़ा वर्ग कुशवाहा जाति से आते हैं।
जब हमारी टीम ने औरंगाबाद क्षेत्र का सर्वे किया तो पाया कि यहां जातियों के बीच मतभेद काफी गहरे हैं। संसदीय क्षेत्र में मुद्दों से ज्यादा जातीय अभिमान और अपमान ज्यादा हावी दिख रहा है।
देखा जाए तो यहां चित्तौड़गढ़ नाम और उसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ने वाली राजपूत जाति और पिछड़े वर्ग की अन्य जातियों के बीच हमेशा से राजनीतिक टकराव रहा है। और यही कारण है कि इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। सांसद सुशील कुमार सिंह के साथ उनके तीन बार के सांसद रहने और समाजवादी नेता और पूर्व सांसद रामनरेश सिंह उर्फ लूटन सिंह के पुत्र होने और स्थानीय लोगों के बीच रहने का फायदा मिल रहा है।
वहीं पिछड़ा, दलित और मुस्लिम समाज हम प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद को चितौड़गढ़ का तिलिस्म तोड़ने के हथियार के तौर पर देख रहा है। औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में समाज पूरी तरह से दो भागों में बंट गया है। यहां देखा जाए तो लगभग ओबीसी समुदाय के सभी जातियां उपेंद्र प्रसाद के पक्ष में गोलबंद हो रहे हैं।
चुनाव के संबंध में वर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह का कहना है कि उनके सामने विपक्षी प्रत्याशी कहीं नहीं देखेंगे उन्हें उन्होंने जाति नहीं जमात की राजनीति की है और यही कारण है कि उन्हें हर बिरादरी से वोट मिल रहा है उन्होंने विकास का बहुत काम किया है हर व्यक्ति से सहायता से मिले हैं जिसका उन्हें फायदा मिलेगा।
वहीं महागठबंधन प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद का कहना है कि वे चित्तौड़गढ़ का सम्मान करते हैं और चित्तौड़गढ़ बनाना तोड़ना इस तरह के शब्द उनके डिक्शनरी में नहीं है। वह भी इसी चित्तौड़गढ़ के नागरिक है और इसी लोकसभा के इमामगंज के रहने वाले हैं । ऐसी स्थिति में वे जनता की सेवा बखूबी कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अमीरी गरीबी महलों और झोपड़ी के बीच में है । यहां सामंती ताकतों को हराना है जो एक गठजोड़ बनाकर गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के हक और आवाज को दबाने का काम करते हैं । उन्होंने कहा कि उन्हें सभी जातियों का समर्थन मिल रहा है।